Maa Jagdi ki Doli

Maa Jagdi ki Doli
Sila soud mela

Friday 18 November 2011

One Gadwali Kavita

--One Gadwali Kavita--
फ्योली खिलगी छः
घ्यन्डी बासगी छः
बुरान्श ठपराण छः लग्यु
घाम एगी बल शट पट ..
खडा उठ जा बल झट पट!

क्यों बचपन के साथी,
योवन में माटी से मुंह मोड़ लेते हैं,
जनम लिया इस धरती पर,
और खेले कूदे मेरी गोद में,
चलना सीखा, पढना सीखा,
जीवन का हर जज्बा सीखा,
लोट पोट कर मेरे आँगन में,
बाल्यकाल का हर सपना देखा,
उत्तरायनी का कौथिक देखा,
पंचमी का भी किया स्मरण,
फूल्दही पर भर भर फूलो की टोकरी,
गाँव गाँव भर में घुमते देखा,
बैशाखी पर पहने कपडे नए,
भर बसंत का आनंद लूटा,
क्यों चले आज तुम ये झोला लेकर,
क्या रह गयी कमी मेरे दुलार में,
क्या मेरी माटी में नहीं होती फसल,
या फिर ये है समय का चक्र चाल,
गंगा जमुना और बद्री केदार की धरती,
गांवो में आज वीरान सी पड़ी है,
कभी आना मेरे देश लौटकर मुसाफिर,
यदि लगे तुम्हे परदेश में ठोकर,
.............!!!!!!


जन नैनीताल, काणाताल, डोडीताल, मात्री ताल,
गरूड़ ताल, नौकुचिया ताल, सूखा ताल, राम ताल,
लक्ष्मण ताल, सीता ताल, नल-दमयंती ताल, भीमताल,
क्या कायम रलु सदानि अस्तित्व यूंकू, मन मा सवाल?
हमारा प्यारा रंगीला कुमाऊँ अर छबीला गढ़वाळ.......

पहाड़ मा "पाणी का भरयाँ ताल",
फिर भी पर्वतजन तिस्वाळा, मन मा सवाल?
जल संरक्षण, पहाड़ की पुरातन परम्परा,
आज यथगा जागरूक निछन पर्वतजन,
अतीत कू प्रयास, मनख्यौं कू या प्रकृति कू,
हमारा खातिर मिसाल.....

पहाड़ की सुन्दरता मा चार चाँद लगौंदा छन,
हरा भरा जंगळ अर "पाणी का भरयाँ ताल",
हैंसदु हिमालय, जख बिटि निकल्दी छन धौळि,
जन अलकनंदा, भागीरथी, यमुना, मंदाकनी,
पिंडर, कोशी, रामगंगा, पूर्वी पश्चिमी नयार,
धोन्दी छन तन मन कू मैल पहाड़ का मन्ख्यौं कू,
उदगम यूंका छन "पाणी का भरयाँ ताल"......


अनंत असीमित दूर तक फैली सिर्फ सुन्दरता
अविश्वसनीय
मैं समर्पित इस धरा पर,टूटती हुई जड़ता
सर्व-वन्दनीय
ओढ़ना चाहूँ पवित्रांचल
हे माउत्तरांचल
करने दो आराम आँचल मैं अपने थोडा सा ...............

BY Ramlal Panchola