Garhwali kavita
बौडी औ दग्डया हुवै गै बतेरी जगावाला थामे नि थमैदो मन को उमाल
घास अर लाख्डू कान्डो का बोण दिन डसदू सुर्म्यालो
घाम रात डस्दी जोनमाया बण्गे तेरी जी को जन्जाल –
बौडी औ——सौन्ज्ड्यो दगड जब जान्दी दग्ड्याणी,
चैत्वाली बयार डाण्ड्यो जब रन्दी बयाणीतिसू
तिसू तिसि चोली जब कखी भट्याणीदिल मा
उठ्दी हूक मेरा कानू बज्दी धूयाल
बोडी औ—–नथुली बुलाक झ्यूरी मेरी कन करोदा ...
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